कावेरी

 रोको, कावेरी को रोको

कक वह तो बह जाएगी

धराधर की आई पुकार

कावेरी बहक जाएगी!


जब चम-चम चम-चम चंचला कड़के

गुलमोहर सेसावन की लाली हैझटके,

ऊजाातड़पाए, नीरव घबराए,

कावेरी को श्रवण की स ंधी उकसाए!


महके बेला, चहके वो

घनश्याम पेन्योछावर, घनघोर

उमड़- उमड़के उछलती

मयूरी नृत्य-प्रभाकवत, मचलती!


रोको, कावेरी को रोको

कक वह तो बह जाएगी

धराधर की आई पुकार

कावेरी बहक जाएगी!


सींचा जो बकगया मेंधान

बाऊजी का बनाया मकान

उजड़ जाएगा

ठहर जा, दकिणी, थम जा

कक बाबुल कबखर जाएगा!


इंद्र झलके गगन तले

सूयाधमके, मेघ ढले

रंगोंसेबेरंग न हो

इंद्र सेतंग न हो!


ओढेरखो रेशम, सावरी

बेचैन सा मन क्ोंलागे

अगस्त्य जो करेपूजन

कावेरी का मन क्ोंभागे!


रोको, कावेरी को रोको

कक वह तो बह जाएगी

धराधर की आई पुकार

कावेरी बहक जाएगी!

-Bheene Sharda

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